प्रियंका माली को कविता, शायरी और विचारों को पिरोना पसंद है। वह पिकाचू कार्टून की तहे दिल से प्रशंसा करती है। वो हर किसी की भावनाओं को पूर्णता से समझने की कोशिश करती है एवं पर्यावरण को खुशनुमा बनाए रखने में मानती है। उन्हें समंदर से बड़ा लगाव है वो मानती है की इंसान समंदर से भी गहरा होता है इसलिए वो लोगो के बारे में राय स्थापित करने के बजाए उन्हें जानने में दिलचस्पी रखना उचित समझती है। वो जिम्मेदारियां उठाती है और पूरे निष्ठा से उन्हें निभाती है। उन्हें सच बोलना पसंद है और वो हमेशा सच सुनना पसंद करती है। उनकी दिल से इच्छा है की उनके पापा उन्हें कहे “अगले जनम मोहे बिटिया ही दीजो”।
लफ्जों का साया” मेरी पहली पुस्तक है, इसमें आपको तरह तरह के एहसास से भरी कविताएं महसूस करने मिलेगी। इस किताब में आपको बहुत सारे अनकहे जज़्बात भी पड़ने मिलेंगे। इस पुस्तक की ये खासियत है की इसमें आपको ज़िंदगी के सारे सार एक साथ मिलेंगे।
इन पन्नो में पिरोया एक एक शब्द कही न कही मैंने महसूस किया है, जिया है और सहा है।
इस किताब का मूल उद्देश्य आपको अपने अंदर की भावनाओं को पहचाना होगा।