आनंद गोपाळ मोंढे एक स्मॉल टाउन बेस राइटर और फ़िल्म स्कूल के छात्र हैं. फिलहाल पुणे में सिनेमैटोग्राफी और फ़िल्म से जुड़ी अन्य विषय की पढ़ाई रहे हैं . अक्सर डरावनी कहानियां लिखने में ज्यादातर समय बिताता हैं और उनको फोटोग्राफी बेहद पसंद है! कभी-कभी विभिन्न स्थानों पर घूमने के लिए बाहर जाते हैं और उनका पसंदीदा स्थान गोवा है।
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रूम नंबर 100…..🖋️
आज नए साल का नया दिन 1 जनवरी 2022, बजे शाम के 6 कुछ देर बाद जरा सी काली रात हो चुकी थी, 10 बजते ही मैं सोने की तैयारी करने लगा। मुझे किताबें पढ़ना पसंद है। मैं एक सिनेमा की कथा पढ़ रहा था क्योंकि नींद नही आ रही थी और मैं रात को सो नहीं सका तो सोचा कुछ पढ़ते है। रात के 2 बजने के बावजूद मुझे नींद नहीं आई। फिर मेरे दिमाग में आया चलो बाहर चलते हैं। मैं अपने अपार्टमेंट के पास पार्किंग में बस चल रहा था।
शहर की आवाज और व्यस्त जीवन के वजह से ज्यादातर लोगों को रात को नींद नहीं आती है। लेकिन मैंने उस अपार्टमेंट के बारे में बहुत सारी भयानक कहानियाँ सुनीं जहाँ मैं फिलहाल रहता हूँ। हमारे अपार्टमेंट के आसपास कोई शहर और गांवों के लोग घूमते नजर ही नही आते थे। अगर आप कभी इस गुमशुदा अपार्टमेंट का पता किसी ऑटो को पूछते हैं तो क्या आपको मरना है? तुम वहाँ क्यों जा रहे हो? यह कहकर वह मना कर देता था। इस अपार्टमेंट की कुछ मनघड़न कहानी सुनकर मुझे सच में बहुत अजीब लगता था!
सुबह 3 बजे मेरे पास फोन आया कि जिस दलाल ने मुझे इस इलाके में आवास मुहैया कराया था, उसकी मौत हो गई है। आज इस अपार्टमेंट में मेरा पहला दिन था। मैंने 3 महीने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे इसलिए मैं इस अपार्टमेंट में वैसे भी 3 महीने बिताना था। अपार्टमेंट के दलाल की मौत के कारणों का पता नहीं चला है। पुलिस ने कहा कि दलाल अपने घर में बहुत ही खराब शरीर और खून से लथपथ हालत में खुदकुशी की हालत में पाया गया था।
दलाल की शादी को एक साल से भी कम समय हुआ था और कुछ महीने पहले उसका तलाक हो गया था, इसलिए पता चला कि वह अपने घर में अकेला था। ब्रोकर की आखिरी कॉल मेरे पास रिकॉर्ड हो गई थी, इसलिए पुलिस और जासूसी अधिकारियों की नजर में पहला शक मुझ पर ही था।
आस-पास कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था! मैं इस इलाके में अकेला था, यह शहर से लगभग 10Km दूर एक अपार्टमेंट था। इस अपार्टमेंट का केयरटेकर हमेशा बदलता रहता था, यहां तक कि केयरटेकर भी 2 हफ्ते तक नहीं टिकता था। यह सब बहुत अजीब लग रहा था। मैं अपने कमरे में आया, 2 पलंग, एक अलमारी, एक पंखा, 2 बत्तियाँ और उसके पास एक शौचालय था।
एक छोटी सी बालकनी थी जिसमें एक बहुत ही अच्छी और कोमल हवा मुझे छू रही थी। सब कुछ बहुत शांत था, कार या ट्रक की साधारण आवाज भी नहीं थी। इस अपार्टमेंट के पास एक बंद चाय की टपरी थी जो की कई साल से बंद थी। पास में एक रेलवे स्टेशन था लेकिन मुझे ट्रेन की आवाज नहीं आ रही थी। बालकनी से देखा तो एक घना जंगल था और आस-पास कोई इमारत नहीं थी और मोबाइल नेटवर्क की बहुत बड़ी समस्या थी।
अखबार में लिखकर आता था कि लॉकडाउन शुरू होने वाला है उस कारण बाहर न जाएं। इसलिए मैं बाहर नहीं जाता था। पास में कोई किराना स्टोर नहीं है इसलिए मैं सब कुछ ऑनलाइन ऑर्डर करता था लेकिन उन्हें कभी मेरी लोकेशन नहीं मिली। मुझे मेरा सब खाना खत्म हुए 3 दिन हो चुके हैं। आगे क्या होगा?मैं सचमुच उलझन में था। बेचैनी से मैं इस कमरे में सो नहीं सका।
अगर मैं बालकनी पर बैठा होता तो रात में भयानक शोर होता। कुछ ही दूरी पर अँधेरे और ठंडी हवा का तूफान था। मेरा इस अपार्टमेंट के मालिक से कोई संपर्क नहीं था। अब मैं सोच रहा था कि मैं यहा आया ही क्यों? तभी मुझे बालकनी से आवाज आती है।
( भाग जाओSssss
तुम भाग जाओSssss
वोह आ रही है
वह सबको मार डालेगी
यहाँ से भाग जाओ। )
मुझे नहीं पता कि सभी अजीब चीजें यहां मेरे आसपास क्यों हो रही थीं? मैं जल्द ही एक अपार्टमेंट से दूसरे अपार्टमेंट में शिफ्ट होने की सोच रहा था। सुबह हो चुकी थी और मेरे कमरे का दरवाजा पता नही कैसे पर लॉक था। काफी मशक्कत के बाद भी दरवाजा नहीं खुला।
यह एक अपार्टमेंट है इसलिए दरवाजा मजबूत और भारी था पता नही क्यों? उस पर ताला की चाबी काम नहीं करती थी। जब मैं सोच रहा था कि मेरे बाहर जाने का यह आखिरी विकल्प अब बंद हो गया है, मेरा मोबाइल अचानक बजने लगा और नंबर बहुत अजीब था 1000000xxxx जिसमें से मुझे एक कॉल आया, कुछ रिंग्स बजती हुईं और मैंने 5वीं रिंग को कॉल रिसीव करने की हिम्मत की।
हेल्लोव? कौन बात कर रहा है?
हेल्लोव? क्या मेरी आवाज आ रही है?
कोई जवाब नहीं दे रहा था और कोई बात नहीं कर रहा था। मुझे यह मोबाइल नेटवर्क की समस्या लगी।
जहां नेटवर्क समस्या से कॉल नहीं किया जा सकता था, उस पल भूखा,थका और डरा हुआ मैं कैसे सो गया मुझे पता ना चल पाया। उस बंद कमर में सारा दिन बीता, लेकिन समय-समय पर हवा का एक झोंका आता रहा। मैं मन ही मन अकेला था। अगर मैंने बालकनी से नीचे कूदने का फैसला किया तो मेरी इतना उचा देखकर हिम्मत नहीं होती थी।
घंटे बीत गए। अचानक बिजली चली गई और हर तरफ अंधेरा हो गया और आखिरकार मेरा मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। मेरे बगल में एक छोटी टॉर्च लेकर मैं बालकनी से बाहर जंगल में देख रहा था।
उसी समय मुझे याद आया कि इस कमरेमें एक अलमारी है। मैं अलमारी के पास पहुँचा! एक हाथ में टॉर्च लेकर अलमारी खोली और अचानक किसी ने मेरे चेहरे के ऊपर कुछ डरावनासा कुछ आया! मैं डर गया लेकिन तब मुझे एहसास हुआ कि एक चूहा था जिसने अपने दांतों से कोई कागज़ कुतर दिया और मैंने देखा तो वहा चूहों ने कोई आधी किताब फाड़ दी। वहाँ कोई तीन या चार किताबें थीं और कुछ नक्शे थे।
अगर मैं इसे पढ़ने जाता, तो मुझे लगता कि यह कई साल पहले की एक अजीब और अपरिचित लिपि होगी। उस अलमारी में मैंने कुछ तस्वीरें और कुछ पुराने जमाने के शिकार के औजार देखे। एक हाथ में टार्च लिए दूसरे की ओर देखा तो कुछ कंकाल की हड्डियाँ देखीं, कहीं कहीं खून से भरा आधा कटा हाथ और उंगली ,कहि कटा सर से बहता खून ऐसा कुछ डरावना देखा, अचानक पास के एक कमरे के कोने में कोई खड़ा है वऐसा लग रहा था जैसे वह मुझे लगातार देख रहा हो। मुझे देखते ही वो रो रहा था, और मेरे साथ अब अजीब-सी बातें बार-बार हो रही थीं।
अचानक मेरा बिस्तर के नीचे से खून से लथपथ अवस्था में एक हाथ निकलता था, तो कभी-कभी बाथरूम में पानी का नल अचानक से चलने लगता था, कभी-कभी मैं अपने चेहरे पर पानी ले लेता और तब अकसर शॉवर से पानी के बजाय खून की धारा होती थी। कभी-कभी बाथरूम की लाइट अचानक स्पोट हो जाती थी।
एक बार फिर मेरा ऑफ मोबाइल अचानक चालू हो गया और रिंगटोन बजने लगी। इस बार मैंने फैसला किया कि मैं फोन नहीं उठाऊंगा। डरा हुआ मैं एक कदम पीछे हट रहा था और मैंने बाथरूम से एक भयानक आवाज़ सुनी।
(भयानक स्वर में)
आओ हुजूर तुमको
सितारों में ले चलुSsss
दिल झुम जाए ऐसी
बहारो मे ले चलु Ssss
आओ हुजूर आओSsss
हिहिहिहिSsss
और अचानक बिजली चमकी और ठंडी हवा चलने लगी। मैं अब इस अपार्टमेंट में डरावनी तरह-तरह की आवाजें सुन सकता था। तीसरा दिन और मैं अभी भी इस अपार्टमेंट के एक लॉक रूम में फंसा हुआ हूं।
मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं भूख से मर रहा था और मेरा शरीर अब साथ नहीं दे रहा था, इसलिए अब मेरी आँखें बस एक पल में खुल रही थीं और बंद हो रही थीं। आंखे खोलूं तो ऐसा लगेगा जैसे अचानक से कोई आत्मा का झुंड मेरे सामने आ रहा हो। पल में दिन बीत जाता था, और मैं उसी जगह जरा होश में पड़ा रहता था। थोड़ी देर में अपार्टमेंट एक महल में बदल गया,मुझे होश नही था इस वजह से आखिर में मैं बेहोश हो गया!
कुछ समझ नहीं आया। मैं एक दलदल में फँस गया था जहाँ अब मुझे भूत-प्रेत दिखाई दे रहे थे। होश आया तब मैं फिरसे महल को वापस एक अपार्टमेंट में बदलता देख रहा था। मेरे कमरे का दरवाजा अचानक खुल जाता है, अब जिंदा बचने का यही आखिरी विकल्प था। दरवाजा खोल कर जब मैं दरवाज़ा पार कर रहा था और एक-एक कदम नीचे उतर रहा था! आस पास कुछ भूत-प्रेत मेरा पीछा कर रहे थे ! जैसे मैंने दरवाजा बंद किया तब सब पहिले जैसा हो गया और अब मुझे इंसान भी दिखने लगे थे!
डरा हुआ पसीने से भरा अब मैं वहां जमीन पर घुटने टेक रहा था तभी केअर टेकर की आवाज आती है. केअर टेकर पास आया बोलता है की आप गलत कमरे में गए थे शायद. रूम नंबर 100 लॉक हो जाता है साहब !
हमारे मालिक तो बोल रहे थे आपका तो रूम नंबर 101था आप रूम नंबर 100 में क्यों गए थे? तब पता चला की मैं सिर्फ गलती से उस रूम में चला गया और सब डरावनी बाते मेरे साथ होती गयी।
बात बात में मैने पूछ लिया ये की रुम नंबर 100 इतना डरावना क्यों है? और वो रूम लॉक क्यों हो जाता हैं? और आखिर क्या है इस रूम की कहानी? उसपर चाय पीते-पीते केअर टेकर बोल रहा था की रूम नंबर 100 में एक परिवार था,जहां उनके परिवार में दो दिमागी रूप से मेंटल केस थे जिनमे जॉन एक 31 साल का आदमी था पर उसका स्वभाव 7 साल के बच्चे जैसा था और दूसरी जिमी नाम की लड़की थी जिसे खून-खराबा बोहत पसंद था ! वोह दोनों परिवार को किसी ना किसी तरीकेसे अक्सर तखलिफ़ दे रहे थे! परिवार इनसे तंग आ गया था! एक दिन इन दोनों ने खेल-खेल में परिवार के कुछ सदस्य को मार दिया जब पोलिस को बात पता चली तो उनको पकडते समय भागते हुए जंगल में जॉन का एनकाउंटर हो गया और जिमी को खाने में जहर देके उनके परिवार के लोग में मार दिया था. अब वो परिवार विदेश में रहता है.
इस बात को बीते दस साल हो गए है ऐसा बोल कर केअर टेकर हसकर चला गया! मैंने घड़ी देखी तो अब सिर्फ 6:30 हो गए थे और तारीख देखी तो आज की तारीख थी 1 जनवरी 2022 और अब मैं अंदाजा लगाऊ तो सिर्फ 30 मिनिट तक ही रूम नंबर 100 में था!
लेखक : - आनंद गोपाळ मोंढे ....🖋️
समाप्त