तेरे दिल में जगह देदे थोड़ी
मैं प्रेम का रस बहाऊँगी
मैं फ़ूल-सी तितली हूँ
तेरे दिल को मैं रंग जाऊँगी।
तू अपना तो मुझको कह के देख
मैं बिन सोचे ही तेरी हो जाऊँगी।
तेरे होठों की कड़वी वाणी को
मैं अमृत समझ पी जाऊँगी।
तू अपना तो मुझको कह के देख
मैं बिन सोचे ही तेरी हो जाऊँगी।
मुझमें अब नहीं कुछ मेरा है
मैं जब से तेरी हो जाऊँगी,
तेरे दम से ही मेरी जान रहे
सब कुछ तेरा कर जाऊँगी।
पकड़ कर रखना तू हाथ मेरा
वरना इस भीड़ में मैं खो जाऊँगी।
तू अपना तो मुझको कह के देख
मैं बिन सोचे ही तेरी हो जाऊँगी।
तेरे दर की धूल पिया मैं
सर-माथे से लगाऊँगी,
तेरी हुई अब से तो मैं
बस तुझको ही अपनाऊँगी,
फेरे जो लिए साथ में
हर वचन भी मैं निभाऊंगी,
तुझसे बढ़कर कुछ नहीं मुझको
मैं यमराज से भी लड़ जाऊँगी
मेरा प्रेम तू है बस अब
दुनिया त्याग दी है मैंने,
मात-पिता के घर को छोड़ा
तुम से रिश्ता जोड़कर मैंने,
दुनिया मेरी बस तुम ही हो अब
बस कोई और ख़्वाब ना देखना मैंने,
तुम्हें छोड़कर किसीको भी देखूँ
तो मृत्यु ही प्राप्त है करनी मैंने,
पिया अब सारी ज़िन्दगी के लिए
मैं तेरी दासी बन कर रह जाऊँगी,
परम् पूज्य हो तुम मेरे तुम
बस तुम्हें ही शीश नवाऊंगी।
तेरी बाहों में बस जाऊँ मैं
बस और कुछ भी ना चाहूँ मैं,
तेरी एक झलक देखने ख़ातिर
रोज़ पिताजी से छुपकर आऊँ मैं,
तुम जो कह दो कि बस तुम मेरी हो
बस और कुछ भी नहीं चाहूँ मैं
तुम से लगी मेरी प्रीत सजन
मैंने माना तुम्हें अपना ही, ओ सनम,
मुझे और ना कुछ तेरे सिवा भाए,
मैं माँगू तुझे ही अपने हर जनम,
तेरी बाहों में रहना चाहूँ मैं
बस और कुछ भी ना चाहूँ मैं।
मेरे दिल में तेरी ही सूरत है
मैं खोई-खोई सी रहती हूँ,
उसके प्रेम के हर एक रस्ते में
मैं पीछा उसका करती रहती हूँ,
मेरी जो मुड़े वो दीवाना
मैं जाने कहाँ देखने लगती हूँ,
मेरी नज़र न मिलती है उस से
फिर भी उसको मैं रोज़ तकती हूँ,
डर लगता है, मैं कहीं उसे खो न दूँ
जब भी इज़हार की बात को सोचती हूँ,
मेरे दिल चुभन सी होती है
जिस दिन उसे ने देखती हूँ,
मेरा दिल भी ये कितना पागल है
जो उसका ही हुआ चले जाता है,
मैं अब तो अपना कह दूँ उसको
जब भी वो मेरी ओर चला आता है,
क्या सोचता होगा वो मुझको भी
हर पल मैं भी यही सोचती हूँ,
चलो हुआ बहुत इंतज़ार तो अब
मैं अपनी इच्छाएं प्रकट ही कर देती हूँ।
तेरे पथ का दिया बनी मैं सजन
उठाउंगी तेरी राहों से काँटे,
प्यार से सुलाऊंगी अपनी बाहों में
जो प्यार से तू उसमें रातें काटे,
तेरा दुःख मैं पी जाऊंगी
तुझको सुख पहुँचाऊंगी,
प्राण देकर भी निभाऊंगी
जो भी करूँगी मैं तुमसे वादे।
©Guneet Malik
About Guneet Malik
Guneet Malik, a dazzling star born in Ludhiana, the Manchester of India. She is a versatile
artist, renowned actor, charming model, gorgeous dancer, fantastic writer. She excels in communication, leadership, management and problem-solving skills. “Who could be more
patient in today’s world?” She is good at her patience and calmness. She is a gregarious
personality. She never fails to showcase her talents. She is an embodiment of Hard work
that paves the way to success. She is working as an intern and mentor in various programs
and organisations.She is working as mentor and volunteer in many NGO’s. She is very
much active in taking part and winning in webinars, open mics, debates, declamation,
sports and various writing competitions. Her hobbies are too amazing. It includes cooking,
reading books, singing, dancing, drawing etc. She loves to capture magical emotions
through her art of photography. She is an inspiring poetess seeding strength in her words.
She is a fabulous personality and a keen inspiration.
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