नाम – मिथलेश राजपूत | पिता – श्रीमान ओमकार राजपूत | जन्म 04-07-2003 ( निवास स्थान – ग्राम नवघटा जिला कबीरधाम छत्तीसगढ़ , )
लेखक का शिक्षा
इन्होंने अपने कक्षा 8 वी तक की पढ़ाई स्वामी विवेकानंद स्कूल मोहगाँव से किया तथा 9 वी से 12 वी की शिक्षा के लिए ये D. I. P. C. Govt. School झलमला गए उसके पश्चात महविद्यालय की शिक्षा वर्तमान में पिपरिया के महाविद्यालय से कर रहे है ये वर्तमान में B. Com के छात्र है |
लेखक का विद्यालय जीवन
ये अपने विद्यालय जीवन में बहुत ही सरल और नटखट विद्यार्थी थे इन्होंने अपनी पहली कहानी कक्षा 4 में लिखी थी तभी से इनको कहानी पढ़ने का शौक लगा था और कुछ ना कुछ पढ़ते रहते थे इन्हे Best student का पुरुस्कार भी प्रदान किया गया था इन्होंने शुरुवती विद्यालय जीवन में 4 वर्षों तक नृत्य में भी भाग लिया था स्वामी विवेकानंद की जयंती पर हर वर्ष विद्यालय में रात्रिकालीन वार्षिक उत्सव मनाया जाता था | ये कक्षा 8 में विद्यालय के छात्र प्रमुख भी चुने गए थे तथा इन्होंने कक्षा 12 वी में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया था |
लेखक के विचार
लेखक के विचार
अनुभूतियाँ ही स्मृतियाँ है और अनुभूतियों तथा स्मृतियों को अपने शब्दों में पिरोना कविता है | कविता ऐसी जो इस जगत के उस पार ले जाएं और एक अलौकिक कल्पना शक्ति को जागृत करके आपको सोचने पर मजबूर करे |
हम जो अनुभाव करते है वो कुछ समय पश्चात हमारी स्मृति बन जाती है यादें बन जाती है मगर उन्ही और अनुभाव और उन यादों अर्थात् स्मृति को जब हम अपने शब्दों में गढ़ते है तो वो कविता बन जाती और वो कविता ऐसी हो जिसे पढ़कर हम अपने कल्पना शक्ति को जागृत करके उसमें खो जाए उसकी छवि चलचित्र हमारे मन में छपने लगे जिससे हम उसका आनंद प्राप्त कर सके और हमें इस जगत से उठाकर किसी दुसरे जगत में लेकर चली जाए जहाँ कोई भी आपको परेशान ना कर सके बस प्रेम ही शेष रह जाए और ये बात अपने आप में बहुत विशेष है | मैनें सारी चीजों को अनुभव और कई काव्यांश और गद्यांश हमारे जीवन से संबंधित है इसलिए इस पुस्तक का नाम (जीवन की यात्रा) है | विद्यालय जीवन में मित्रों के नाम से शायरी व प्रकृति से प्रेम एक प्रेम कथा ग्राम का जीवन तथा एक परिक्क्षार्थी का अपने ग्राम से दूर जाकर शहर में अध्ययन तक व्यक्ति कि प्रथम व्यथा तथा अंतिम व्यथा गरीबों का सहारा तथा अपने बच्चों के प्रति मातृभूमि की व्यथा एक बच्चे की काल्पनिक कहानी के साथ उसको उपहार प्रदान होना वो लॉकडाउन तथा कोरोनाकाल का समय जीवन का खेल तथा पुरानी यादें बचपन का जीवन अन्य कई संदर्भ जो जीवन से जुड़े है उन्हे कविता तथा गद्य और कहानी के माध्यम से जीने का प्रयास किया है और मुझे पूर्ण विश्वाश है के आप सभी पाठकों को इसे पढ़ने पर आनंद की प्राप्ति होगी ईश्वर के नयन तथा उनसे जुड़े सपने और एक काल्पनिक स्वप्न तथा बाल मजदूरी पर कड़ा प्रहार किया है | यह पुस्तक और भी शीघ्र प्रकाशित होती मगर मेरे पास उतनी धनराशि नही थी तो मैने अपने पॉकेट मनी में से कुछ रुपए बचा बचा कर ये पुस्तक प्रकाशित कराई बाधाएँ कई आयी मगर अंत में तो मंज़िल तक पहुँचना ही था अत: आप सभी का दिल से धन्यवाद तथा त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | अंत में एक ही बात कहना चाहूंगा,,
जगाओ सभी के मन में विश्वाश तुम्हारा
दृण तुम्हारा संकल्प हो |
भेद मन का फेर ऐसे की
उनके पास कोई विकल्प ना हो | |
अपने दिवस के समय में से समय निकालकर लेखन के लिए मन की व्यथाएँ भावनाएँ कामनाएँ वो शब्द और अक्षरों और वाक्यों का खेल और घटना वो मन में चल रहे चलचित्र अनुभूति और स्मृति का स्मरण करके एक पंक्ति और एक पद्य की रचना होती है जिसे रचना मानों हमारा प्रतिदिवस का कार्य है |
( यह पुस्तक मेरे दो वर्षों की मेहनत है और अगर इसे पढ़ कर आप पाठकों को आनंद की प्राप्ति होती है तो वो ही मेरे मेहनत का फल है अत: त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | )